हैं कष्ट सभी के जीवन में,
पर सच से बहुत बड़ी है चिंता,
संभल को दो शब्द भी मुश्किल,
सौ किस्से लिए खड़ी है चिंता,
हो गृह जीवन या कर्मक्षेत्र ,
हर ओर ही चिंता छाई है,
अपने खुश जीवन की खातिर,
अब चिंता से मेरी लड़ाई है,
मन है, मेरा मनोबल है ,
जीवन की इच्छा सारी है,
कमजोर कर रही भीतर से,
ये चिंता सब पर भारी है,
है बुद्धि और ज्ञान भी है,
ये मेरे तीर कमान भी हैं ,
पर बंधक है भाबुक मन,
और चिंता से संग्राम भी है,
मेरे विरुद्ध चलती है रण में,
है सोच मेरी चिंता के दल में,
थका रही मस्तिष्क को मेरे,
डुबा डुबा चिंता के जल में,
ग्रहयुद्ध सा चलता है अंदर,
मन नहीं मस्तिष्क के वस में,
सही गलत का भेद हो रहा,
धुंधला अब इस असमंजस में,
ले बचा कोई मुझको मुझसे,
दे दिखा मार्ग सुख शांति का,
साधन हो योग शास्त्र जैसा,
करे नष्ट अंधेरा भ्रान्ति का,
हो उपाय समस्या के अनुसार ही,
अनावश्यक चिंतन कम करना है,
सरल जीवन में सुख लाने को,
चिंता का दमन करना है,
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More strength to all the stressed.. 🤝
De-stress and stay healthy… !!!
Thanks for reading.
बात तो सत प्रतिशत सही कहा है आपने पर चिंता तो स्वाभाविक से होती है लेकिन कब यह बीमारी का रूप ले ले पता ही नहीं चलता।
वो कहते है था
चिंता से चतुराई घटे
घटे रूप और ज्ञान
चिंता बड़ी अभागिनी
चिंता चिता समान
मेरो चिंतयो होत नहीं
हरि को चिंतयो होय
हरि चिंतयो हरि करे
मैं रहुं निश्चिंत
आपने बहुत ही खूबसूरती से आज के हालात को बयान किया। बेहद उम्दा पंक्तियाँ है🙏😊
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धन्यवाद..
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this is very well written ..
real issue ….depression
🙂
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Very true
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