कुछ नेता यमलोक गए हैँ शायद, सत्ता को हतियाया है,
धर्मराज को देकर अवकाश अपना कुछ जाल बिछाया है,
जैसे यमदूतों को लक्ष्य मिले, संख्या कुछ पूरी करने को,
ले आओ जो कमजोर दिखे, या राजी हो जाये मरने को,
सही गलत या पाप पुण्य सब बेबस सत्ता के आगे हों,
अकाल मृत्यु के जाल बिछे, जैसे सब लोग अभागे हों,
अदृश्य विषाणु के बल पर, बाहर जो सबको ताक रहे,
मानसिक रोगों का भेष बना, घर के अंदर भी झाँक रहे,
यमदूत सड़क पर, पटरी पर, हैं अस्पताल, बाजारों में,
घर में भी आकर बैठ गए, और घूम रहे हैं कारों में,
है मिलीभगत कुछ पृथ्वी से, अपने बदले चुकबाती है,
भूकंप के झटके देती है, चक्रबात कहीं पर लाती है,
है अर्थव्यवस्था धराशाई, और पडोसी लड़ाई करना चाहे,
यह जैसे यमदूतों की चालें हैं, जो गिनती का बढ़ना चाहें,
यमराज तुम्ही हो धर्मराज, अपना राज्य संभालो अब ,
भ्रष्टाचार बहुत हो चुका है, कुछ अंकुश लगालो अब,
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
©सरिकात्रिपाठी
Thanks for reading… !!
amazing work
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Thankyou 🙂
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Bahut hi khubsurat dhang se likha hai…..
सही गलत या पाप पुण्य सब बेबस सत्ता के आगे हों,
अकाल मृत्यु के जाल बिछे, जैसे सब लोग अभागे हों,
sach
dharti par nahi….yamlok main hi bhrashtachaar hai…….
yahan se wahan tak bas ek hi jaal hai.
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ध्न्यावाद आपकी कमैंट्स के लिए…
🙏🙏 अब प्रार्थना ही कर सकते हैं 🙏
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Beautifully penned!!!
Each lines meaningful.🙏
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Thanks 🙏
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🙏🙏
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Hmm so thoughtful …. Loved every part of it❤🌼☺
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धन्यवाद 💡
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यमराज दया करें अब बस 🙏
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