दिल में दर्द हजारों छुपे हुए पर चुप रहता है,
अन्याय समाज और समय के हर दिन सहता है,
उच्च वर्ग की इच्छाओं को श्रम से पूरा करता है,
आवस्यकता पड़े तो गरीब का पेट भी भरता है,
देश की उन्नति की खातिर जो कर अदा करता है,
विपदा कोई आये तो भी सहयोग सदा करता है,
श्रमिक वर्ग की तकलीफों पर राजनीति बहती है,
मध्यवर्ग की विपदाओं पर कोई दृष्टि नहीं रहती है,
उच्चवर्ग के नुकसानों के अनुमान लगाये जाते हैं,
श्रमिकों के उत्थान हेतु भी कानून बनाये जाते हैं,
पर जब किसी आपदा में मध्यवर्ग की नौकरी जाती है,
तो उन उमीदों से निकल क्यों कोई मदद नहीं आती है?
अपने बोझ उठाए खुद पर आप घिसा करता है,
उसका क्या जो दो पाटों के बीच पिसा करता है?
©सरिकात्रिपाठी
Thanks for reading… !!! Also listen to the recitation in the attached clip…!!
Keep strong who ever is facing harsh time..!!
Featured image borrowed from internet with thanks !!
बहुत ही शानदार तरीके से मध्यम वर्ग की व्यथा को चित्रित किया है
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