जिंदगी बेलगाम होती गई, हम थामने की कोशिश करते रहे,
वो छटपटा कर छूटती रही, हम बांधने की कोशिश करते रहे,
वो टूट कर बिखर जाती रही, हम बचाने की कोशिश करते रहे,
वो उड़कर आसमा सजाती रही, हम छुपाने की कोशिश करते रहे,
वो उम्मीद हमसे लगाती रही, हम निभाने की कोशिश करते रहे,
जिंदगी यूँही गुजर जाती रही, हम लड़खड़ाने की कोशिश करते रहे,
वो नाराज होकर जाती रही, हम मनाने की कोशिश करते रहे,
वो बेइंतहा याद आती रही, हम भुलाने की कोशिश करते रहे,
वो लौट कर वापस आती रही, हम भगाने की कोशिश करते रहे,
वो थामे रही फिर भी हमें, हम छुड़ाने की कोशिश करते रहे,
हम नाकामियों में उलझे रहे, वो सुलझाने की कोशिश करने लगी,
हम अंधेरे में खुद को बुझाते रहे, वो जलाने की कोशिश करने लगी,
हम उससे शिकायत करते रहे, वो मुस्कराने की कोशिश करने लगी,
हम कोशिशों से जब हारने लगे, वो जिताने की कोशिश करने लगी,
कोशिशों की हिम्मत फिर जागने लगी, जिन्दगी मेरे आगे नाचने लगी,
जीने का मकसद देते हुए, वो मंजिलों की ऊंचाई नापने लगी,
वो दिखाती रही रास्ते हमें, हम चलते जाने की कोशिश करते रहे,
वो थकाती रही हमें उम्र भर, हम न जाने क्या कोशिश करते रहे,
ऐ जिंदगी शुक्रिया तेरा, तू कोशिशों का एक बड़ा गुलशिताॅ जो बनी,
मेरे होने का इतना सुकून मुझको है, इन कोशिशों की एक दास्ताँ तो बनी,
©सरिकात्रिपाठी
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पढ़ने के लिए शुक्रिया…!!
पढ़ते रहिए, प्रसन्न रहिए..!!